Friday 7 October 2011

वीर फ़ौजी~

तू सूर्य था तू सूर्य है
तू चाँद का गुरुर है
चमन में भी गगन में भी
तेरी ताप शक्ति खूब है
उठ खरा है जो अभी
प्रचंड मचा कहीं दूर है

तू शौर्य का प्रतिक है
तू वीर था तू वीर है
मुश्किलों में, जो हँसे
तुझमे वो ऐसी धीर है
सैकड़ों में एक तू
तू एक में वो सैकड़ों

नहीं तू सिर्फ एक का
तू मान है इस देश का
भुजा-शक्ति अपार है
तू शूरता का सार है
तूफान सा उफान है
समर्पण तेरा महान है

इस कर्मभूमि में खड़ा
तू सच्चा एक सपूत है
सबकी तू रक्षा करे
खुद अपनी नींद बेचकर
ऐ वीर! तेरे ऐसे निस्स्वार्थ पर
शत शत करे तुझे प्रणाम !!

अंजलि