कभी दिलो के जज़बात, तो
कभी अलफास कम पड़ते है,
लबों पर आये जो तेरा नाम,
गम को हसीं का नाम दिया करते है
भुल के भी जो कभी भुला ना हो,
हर वक़्त के दुआओं में तेरा फ़रियाद किया करते है~
सुबह की खुशनुमा ज़िन्दगी बनकर
तेरे साँसों की पनाहों में जिया करते है
ढलती शाम की सिन्दूरी में लिपटी
और चाँद का श्रिंगार करके,
ये फिजा, तेरे आने का पैगाम दिया करते है ~
अंजलि सिंह
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